गन्ने की कमी से शक्कर उत्पादन घटा,
मुंबई.लगातार तीन साल सूखे की स्थिति व पानी की कमी के चलते पेराई
के लिए पर्याप्त मात्रा में गन्ना उपलब्ध न होने से पिछले साल की तुलना में
इस वर्ष चीनी के उत्पादन में कमी आई है। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में
पेराई के लिए 350 मीट्रिक टन गन्ना कम उपलब्ध हो सका है। इसके चलते 41.20
लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हो पाया है। अब खेत में गन्ने नहीं बचे
हैं, इस स्थिति में चीनी कारखानों को एक सप्ताह के बाद पेराई बंद करनी
पड़ेगी।
आर्थिक बोझ बढ़ा
महाराष्ट्र सहकारी कारखाना संघ
के प्रबंध निदेशक संजीव बाबर के मुताबिक ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था
में महत्वपूर्ण भूमिका रखनेवाला यह क्षेत्र सूखे की मार के चलते मुश्किलों
में आ गया था। गन्ने की बढ़ी कीमत व उसे कारखानों तक पहुंचाने के लिए लगने
वाले वाहन खर्च में बढ़ोत्तरी के बावजूद 150 चीनी कारखाने शुरू रखे गए थे।
लेकिन पर्याप्त मात्रा में गन्ना उपलब्ध न होने के कारण कारखाना चलाने में
लगने वाले भारी भरकम खर्च के चलते कारखाना मालिकों का आर्थिक बोझ बढ़ा है।
वहीं गन्ने की कम पैदावार के चलते किसानों को भी करीब आठ करोड़ रुपए की चपत
लगी है।
41.20 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन
पिछले
साल 730 टन गन्ने का उत्पादन हुआ था। लेकिन इस बार पानी की कमी के चलते
कारखानों को पर्याप्त मात्रा में गन्ना उपलब्ध नहीं हो पाया। पड़ोसी
राज्यों से भी पेराई के लिए गन्ने लाए गए। कड़ी मेहनत के बावजूद 368 लाख
मीट्रिक टन गन्ना ही पेराई के लिए उपलब्ध हो पाया। जिससे 41.20 लाख मीट्रिक
टन चीनी उत्पादन हो पाया। उन्होंने कहा कि इस बार चीनी उत्पादन में कमी के
बावजूद चीनी की कीमतों में बढ़ोत्तरी नहीं होगी। क्योंकि राज्य में चीनी
की जरुरत 22 से 24 लाख मीट्रिक टन है। इससे करीब 20 लाख मीट्रिक टन चीनी
गोदामों में शेष रहेगी।
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